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सूखै तन मन समठपण, तिरस भूख व्है तेज।
मजदूरां तपती मनग, सोवण धरती सेज।।101।।

दूध न आवै मात दर, हांचल खेंचे हार।
मूंडौ जोवै मावड़ी, बालक बारमबरा।।102।।

नैणा आंसूं नीसरै, चवै पसीनो चांम।
जग जांणक बालक जगां, गिरै बूंद घनश्यांम।।103।।

जणणी बालक जोवतां, उरां अलेखूं आस।
मोटो होया मात न, सोरौ आसी सास।।104।।

बोरां री गिणती बधी, आंणा टांणा आर।
मजदूरी कर कर मिनख, भरै ब्याज भण्डार।।105।।

तावै बाहर तावड़ौ, मांही रिव री मार।
मजदूरां जीवण मिलै, भुगतण दुख भव भार।।106।।

मजदूरी करतां मनख, ओपै ग्रीषम आस।
तपसी जांणक तापवै, जांवण नांम प्रकास।।107।।

तावड़ लूवां में तपै, पंगत परणी पीव।
देख दसा मजदूरियां, जलै रुंखड़ां जीव।।108।।

दिन सारै कर देनगी, सकी गरम व्ही सैन।
घर माहंी उणसूं घमी, चित न मजूरां चैन।।109।।

चालै लूंवा चौकलै, सारै दिन सरणाट।
मजदूरां भुगतण मही, थाक्या जीवण थाट।।110।।

झरणा रपाखै जौर री, मरुधरिया मजदूर।
तपती लूवां तावता, सजै कमाई सूर।।111।।

आंतण कंतौ आवियां, थाकेलौ बड़ जाय।
करतां व्यालू कांमणी, सगला दरत सुणाय।।112।।

थाकेला कारण थई, कमतर सुसती काय।
मैंणत काज मजूरियां, झट आंख्यां लग जाय।।113।।

मजदूरां गत मोकली, कसर भगा रै कांम।
भांत भांत रा भुगतणा, एक नींद आरांम।।114।।

आछी नींद्रा आवियां, मन तन फुरती मेल।
आलस नहीं उबसियां, गरम न आवै गैल।।115।।

बरतन भांडा सह बलै, बिसतर बलै बिछांण।
जलै खांण पीवण जिनस, गरम मजूरां घांण।।116।।

करियौ सूनौ कालजौ, सिर थाई सून्याड़।
गरमी चौड़ी कर गई, मजदूरां मूंफाड़।।117।।

घालै फोड़ा गात नै, ऊमसियौ आकास।
मजूदरां रै हाथ नीं, सोरा लेणा सास।।118।।

दोरौ दुख पा काढ दै, ऊन्हालौ इण आस।
बरसालौ करसी भली, मजदूरां विसवास।।119।।

आंधी
चैत गरम चेतायदी, भींभरियौ बैसाख।
जेठ जमाईजौर री, धर ग्रीषम री धाक।।120।।

तपत बधाई जौर तन, ऊमसियौ आसाढ।
अंग छीज आड़ंगियौ, लेण मजूरां गाढ।।121।।

देख्यां आंधी दूमनौ, मजदूरां मन होय।
जोखौ व्है रैवास नै, कारी लगै न कोय।।122।।

करियौ सरतण कंतड़ौ, नीठा नीठ निवास।
आंधई आय उझाड़दै, करदै आस निरास।।123।।।

ऊन्हालै बाजै अवस, आंधी रौ अरडाट।
दुख सावां में देवणी, आ नीं झेली माठ।।124।।

घर भरिया रेती घमा, अंधड़ियौ उकसाय।
दिन रा जाता देनगी, आंथण रा घर आय।।125।।

भरिया अंधड़ वाय सूं, पड़वा झूंपड़ प्रोल।
कांमण नै कायी करै, घिर घिर रेत गिरोल।।126।।

सावचेत मजदूर सब, चित्त में भलपण चेत।
न्हांखै आंधी दिवस निस रै चख सिर पै रेत।।127।।

कबजै रिव नै कर लियौ, चढ खंखल आकास।
दमै रोग मजदूरियां, ऊठण लागौ सास।।128।।

रेत रालतां उड़रही, सड़कां रै सारैह।
साम्ही आंधी डग धरै, ले ज्यावै लारैह।।129।।
काम नहीं आ करण दै, फंफेड़ै भरपुर।
दुसमीचारौ साजणी, आंधी तन मजदूर।।130।।

बालक ओढै बांठकै, घोड़ी में घबराय।
आधी ऊभी मावड़ी, हेज हिबोला खाय।।131।।

नान्यौ कूकण लागियौ, आंधी रै अरड़ाट।
मन मा नैड़ौ जांण न, मालिक मारै डाट।।132।।

बिन मतलब री बातड़ी, करै न खेरौ कांन।
गिनरत नहीं गरबी री, धर मनड़ै धनवांन।।133।।

हवा दाब कमती अधिक, बहता ही बणजाय।
बण आंधी बरसातड़ी, धर फैताल मचाय।।134।।

लारै लगी मजूरियां, दुसमण आंधी दौर।
आ रैवास उझाड़ दै, हिवड़ौ इरौ कठौर।।135।।

ऊपर सूं तो उड गई, टपरी निकली टाट।
भीतां आंधी भाव सूं, खाय धमीड़ा खाट।।136।।

आडौ आडै पारड़ै, पड़ियौ खाय पछाड़।
रियौ सियौ मजदूरियां, दै रैवास उघाड़।।137।।

झूंपड़ियां आडा बिना, यूं लागै विडरूप।
बिन डोकरिया पोल ज्यूं, ओपै नहीं अनूप।।138।।

कांमणियां जिम कंत बिन, मनड़ै थावै मोल।
गेहां यूं लागै घमी, आडा बिना अडोल।।139।।

दरखत हीणौ पांन ज्यूं, पतझड़ में परभात।
लगै अडोली लोक यूं, बिन पतरां री छात।।140।।

माथूं उड़गौ मैणियौ, निकल्या छात बगार।
बौरा जांणक लागिया, आसांमी रै लार।।141।।

भख भख आवै वायरौ, नहीं रोक न टोक।
दुरबिसनी ज्यूं रात दिनत, पातर रहिया पोख।।142।।

मजदूरां घ मांय यूं, आंदी करै उझाड़।
जांणक अतिवादी जमी, निडर मचावै राड़।।143।।

आंदी सागै रेत अत, छण छम आवै छांन।
मिलै लगावण रोटियां, धण राखंता ध्यांन।।144।।

किर किर फिर फिर वायरै, रै आटै रलजाय।
कांई करवै कांमणी, निरधनपणौ सताय।।145।।

छोल हवा रै साथ छित, रेत मचावै रोल।
परणी कंतै पुरसतां, जुड़ै साग रै झोल।।146।।

करै वाद कुचमादणी, तरै तरै सूं ताय।
आंधी मजदूरां अवस, दुसमीपणौ दिखाय।।147।।

ठेकेदार
सूट बूट घम सातरां, क्राम पावडर सेंट।
ठेकेदारां ठायली, टिकणी मौजां टेंट।।148।।

सजी धजी तन सुंदरी, लाद्यौ गहणौ बोझ।
सेवा भाव बिसारियौ, मालिक घण मन मौज।।149।।

घेटा बेटा मालकां, अचपलपणौ अपरा।
दीठापै सावल दखै, कावल देह करार।।150।।

बेपरवा घम बोलणी, खावण खंडी खूब।
ठेकेदारा धीवड़ी, माड़ा ही मनसूब।।151।।

आछा मन रा आदमी, केई ठेकेदार।
मजदूरां मन मोकलौ, होवै राखणहार।।152।।

बगत ऊपरां बापरत, होतां ही हमगीर।
दांम चुकावै देनगी, समझ मजूरां सीर।।153।।

मालिक आछा मन मिलै, फेक्टरियां फरमांन।
सज सुभीतौ सौरपत, मजदूरां घणमांन।।154।।

आंणै टांणै ऊपरां, मजदूरां घर आय।
रिपिया साजै रोकड़ा, 'एडवान्स' इधकाय।।155।।

हारी बैमारी हुवां, पूछण साता पूग।
देय दांम दवाईयां, सांचा करै न सूग।।156।।

सुख दुख में साथी सका, जतन मजूरां जाग।
मालिक आछा मिल गया, भला अछेरा भाग।।157।।

इज्जत बेटी बैन घण, करै मजूरां खूब।
मालिक आछा मिल गया, मिनखपणै मनसूब।।158।।

तप बैपारां तावड़ै, करणौ दोरौ कांम।
करबा देवै घणकरां, मजदूरां आरांम।।159।।

ताटी सिणांय केम्प तण, पांणी छिड़क पखाल।
ठेकेदारां ठावका, तणिया धकै तिपाल।।160।।

थलवट ठेकेदार थित, केम्पां ठंड कराय।
झिलै न लूवां झापटां, नहचै नींद घुराय।।161।।

रैवास
बसती मजदूरां बसी, झूपड़ियां घर जांण।
टूटा फूटा आंगणा, भींत बगारां कांण।।162।।

लागौ सूलौ लकड़ियां, ऊभौ तिड़ै अडांण।
झुकगी माहंी झूंपड़ी, होण मजूरां हांण।।163।।

सोटौ टोटौ सेवतां, तन मन दुरबल ताय।
दुख मजदूरां देखनै, झूपड़ियां झुक जाय।।164।।

आवै छण छण अरक रौ, जेठ तावड़ौ जांण।
बलती साकै ही बड़ै, डील मजूर दझांण।।165।।

आड़ौ आडौ नांव रौ, गाढा पणै न तंत।
छोटा मोटा छेकला, आरौपार दिखंत।।166।।

तन कमजोरी बाल जण, मजदूरण मन भोल।
लूका फलका गल चिपै, नहीं साग रौ झलो।।167।।

काट लागिया पतरिया, जौड़ तौड़ बैठाय।
करनालै तारां तमै, आडोकम अटकाय।।168।।

भींता खाडा खोचरा, बिच्छु डंक बताय।
मो ोकौ मिलिया मार दै, सेंग रात तड़फाय।।169।।

ओलूंबा तन आवणा, मनधूंबा घणमांय।
गिणती तारां गिगन री, कांमण रात कराय।।170।।

मरगी गायां भूख मर, भैंस अलग बेवार।
केऊं नीपै भींतड़ा, मिलै न पोटा गार।।171।।

मुरड़ौ कठै मजूरियां, ठेका लीना ठाय।
आसै पासै आय सह, खांधैड़ा खुदवाय।।172।।

माथै छाया मैणिया, बचवा घण बरसात।
आंधी आयां उड गया, रिब रिब काटण रात।।173।।

आड़ौ लीधौ टाबरां, छीजै कामण देह।
कीकर करणी रोटियां, माथै बरसै मेह।।174।।

भीजै जिनसां भींतरी, छत बेछत उनमांन।
माड़ौ इसौ मजूरियां, मिलियौ रहण मकांन।।175।।

चव चवता सेवट चिपै, गाभां रै कालूंस।
पैरण जोगा नीं रहै, हार मजूरां हूंस।।176।।

झीणी झूपड़ मांय सूं, ठंड लैरका आय।
टाबरिया बूढा युवां, सरदी घमी सताय।।177।।

कमर तौड़ मैंणत करै, पूरी हुवै न आस।
मोला हर रुत मांयनै, मजदूरां रैवास।।178।।

जागां जागां जोयलौ, टूट फूट रैवास।
कमठौ इब कीकर हुवै, पईसौ हेक न पास।।179।।

राज उधारौ देवियां, कीं अफसर खा जाय।
बाकी बचिया नसा में, दे मजदूर गमाय।।180।।

ठेके दीधा राज रा, माड़ा बणै मकांन।
छीजरिया मजदूरिया, छोकी इणसूं छांन।।181।।

पैरवास
ऊंचौ ऊंचौ कुरतियौ, ऊंची नेकर और।
ऊंचापण दीखै सुभट, जीवण नीचौ जौर।।182।।

ससतौ गाभौ सींवणौ, दरज्यां माड़ौ देय।
नाप्योड़ा बेनापरा, पैरण कपड़ा रेय।।183।।

टोटा कारण टाबरां, पट सींव्योड़ा लाय।
रांम आसरै नाप सूं, बेफिट होवै नांय।।184।।

टाबिरया मोबली विरत, समझै घर नीं सैन।
लखपतियां रा टाबर्या, आवै फेना फेन।।185।।

समझाया समझै नहीं, बालक तणौ सभाव।
करलै आड़ा ईसका, मजदूरां हिव घाव।।186।।

पौसालां आची पढम, हीमत कीकर होय।
पोथ्यां ड्रेसां फीस रा, भाव अकासी जोय।।187।।

मूंड्रेसां मोल री, वपरांणी बड़ बात।
मजदूरी करियां मिलै, हाजर नांणा हात।।188।।

सीधौ कुरतौ संचरै, ससतै भाव सदीव।
धोती काठी पैरसी, पुरसारथियौ पीव।।189।।

सींवाी दरजी सकल, रै पग लेवै रोप।
सींवावण बगत न मिलै, अंगा कपड़ै ओप।।190।।

आडै दिन फाट्या वसन, डीलां उतरै नूर।
वार तिंवारां वापरै, कपड़ा नवा मजूर।।191।।

सूती कपड़ा सावका, भारी हुयगा भाव।
टेरीकोटन वापरत, पैरण बदियौ चाव।।192।।

टेरीकोटन रोग घर, गरम सदर बरसात।
हवा पार नांही हुवै, डील तपै दिनरात।।193।।

ज्हेरां सांगै जलमियौ, अन्न निरोगौ नांय।
गैसां वायरियै धुली, टेरिकोटन ताय।।194।।

मूंघी मिलेव मौचड़ी, ससती चपलां सीर।
कमठै मजदूरी कियां, पगां बिवाई पीर।।195।।

मैण्या छत्ता ना मिलै, लागौ टोटौ लार।
भीजावै बरसातड़ी, मजूदरां ललकार।।196।।

मालिक घाटौ मांन नै, दीधी नांय पगार।
धण वैसां पण ना रियौ, बणिया बीच बगार।।197।।

वेस फाटिया कांमणी, तन सूखै मन छीज।
सूखी दीखै ावती, सावणियै री तीज।।198।।

गेह टोटौ गाइजग्यौ, पीव आलसी गोड।
करै कांमणी वेस हित, पीबरियै रा कोड।।199।।

कांही कहवै कंत नै, गौर न छानौो गेह।
पट झीणा घसगा पहर, दीखै मांही देह।।200।।

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